नमस्ते, मैं राज हूँ। यह लगभग पाँच साल पहले की बात है जब मैं एक दोस्त के साथ शेयरिंग में रहता था। घर और रिश्तेदारों से दूर ज्यादातर अकेले रहता था और बाहर रहना पसंद करता था। इन दिनों मेरे ऑफिस की एक कॉलेग मंजू मेरे बहुत करीब आ गई, हम दोनों में काफी गहरी दोस्ती हो गई थी। ज्यादातर वीकेंड हम साथ बिताते थे। और कई बार वो और मैं मेरे फ्लैट पर अकेले भी साथ रह चुके थे। और यह पेनिस खड़ा करने वाली लड़की के साथ एक मस्त घटना कुछ दिन बाद घटी।

एक दिन मेरा दोस्त (रूममेट) कुछ दिनों के लिए गांव जाने वाला था और यह बात मैंने उसे नहीं बताई।

उसके जाने के बाद, मैंने उसने पूरी रात मेरे साथ रहने के लिए मना लिया। और काफी इनकार के बाद वो मान गई और मैंने एक वीक डे पर छुट्टी ली वो भी उस दिन उसके वीक ऑफ होने के बावजूद कुछ जरूरी काम, और नाइट शिफ्ट का बहाना करके शाम को ही मेरे घर आई।

उस दिन हमने पहले साथ में जल्दी डिनर किया और मूवी देखने लगे। इंग्लिश मूवी होने की वजह से उसमें कई किस सेंस और सेक्स सेंस थे, जिन्हें देखकर मंजू बेचैन हो रही थी। मौका देखकर मैंने उसके thigh को छूना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मैं उसके करीब जाने लगा।

मुझे उसकी सांसों में गर्मी महसूस होने लगी। मैंने उसके शर्ट के हाथ पर धीरे से किस किया और वो थोड़ी सहम गई लेकिन शायद उसे इस की उम्मीद थी और वो भी यही चाहती थी इसलिए उसने इनकार नहीं किया। फिर मैंने उसका मुंह अपनी तरफ किया और उसे एक छोटा सा लिप किस दिया, जिसपर वो शरमा गई। पर अगले ही पल वो भी खुली गई और मुझे गले लगा लिया।

धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे के शरीर को छूने लगे। अब हम दोनों नेक्स्ट स्टेप के लिए पूरी तरह तैयार थे। मैंने धीरे से उसका टॉप उतारा और सभी जगह किस करने लगा। मंजू बहुत गरम हो चुकी थी और उसकी सांसें फुलने लगी थीं। मेरा पेनिस भी खड़ा हो चुका था और मेरी पैंट के अंदर ही चुभ रहा था। मंजू के हाथ पकड़कर मैंने अपने पेनिस को उसके ऊपर रख दिया। वो भी समझ गई कि उसे क्या करना है। वो उसे दबाने लगी और मुझे बहुत मजा आने लगा। मैंने अब अपने हाथ से उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया। मंजू की गोलाईया किसी टेनिस बॉल की तरह सॉफ्ट और मस्त थी। वो मोआन करने लगी थी और मैं उसे जोर से दबा रहा था। “आह, धीरे से करो ना मुझे दर्द होता है,” उसके मुंह से आवाज निकली। मैंने बूब्स को धीरे से दबाया और बोला, “पहले पहलें दर्द होता है फिर ही असली मजा आता है।” जैसे वो बदला ले रही हो वैसे मंजू मेरे पेनिस को अब और भी जोर से जकड़ने लगी। जब मैंने उसे देखा तो वो हंस पड़ी। उसकी यह हंसी ने मेरे चुड़कड़ मन को और भी हॉट कर दिया।

वो बहुत ही बेचैन होकर मेरे कपड़े खींचने लगी। मैंने अपने सभी कपड़े अलग कर के उसके सामने खड़ा हो गया। मेरे पेनिस को देखकर एक पल के लिए डर गई और धीरे-धीरे उसे छूने लगी, फिर उसने मुझसे मुस्कुराते हुए देखा और अचानक पूरा पेनिस अपने मुंह में ले लिया। मुझे अजीब सा मजा आने लगा। वो मेरा पेनिस अपने गले तक भर रही थी और उसे मस्ती से चूस रही थी। वाह! मंजू के मन में ऐसी चुड़कड़ लड़की होगि मैंने कभी नहीं सोचा था। वो मेरे पेनिस के आगे के भाग को किस करती थी और फिर उसे अपने मुंह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। मैं मंजू के माथे को अपने पेनिस के ऊपर दबाकर उसे और भी मजा देने लगा था। मंजू के मुह मे पेनिस फिर नहीं बैठ रहा था लेकिन फिर भी वो उसे पूरा चूसने की चेष्टा में थी। वो उसे बार-बार बाहर निकाल कर हिलाती थी जिससे मेरी उत्तेजना और भी बढ़ने लगी। अब मैं उसकी वेजिना लेना चाहता था।

लगभग 15 मिनट तक बो मेरे पेनिस को उस तरह चूसती रही, फिर मैंने उसके सभी कपड़े उतारे और उसके बूब्स और वेजिना को किस करने लगा। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया, और अपना पेनिस उसकी वाज़िना में डालने की कोशिश करनी शुरू कर दी, और थोड़ी मुश्किल के बाद पेनिस उसकी वाज़िना में चला गया। लेकिन वो थोड़ा दर्द महसूस करने लगी। क्योंकि हमारे पास कॉन्डम नहीं था मैं सावधानी से पुश करने लगा वो भी मजे से मेरे साथ देने लगी। मंजू की वेजिना मे मेरे पेनिस को बहुत ही मजा आ रहा था क्योंकि वो बड़ी चिकनी और गरम थी। मंजू भी अपनी कमर को आगे-पीछे हिलाने लगी जिसकी वजह से मेरा लंड अंदर-बाहर होने लगा। उसके इस तरह करने से मैं भी हिम्मत कर के अब उसे जोर-जोर से छोड़ने लगा। मंजू “आह आह” करके चुदाई का मजा ले रही थी। मैं कस-कस कर अपना पेनिस उसकी वेजिना में धकेल रहा था और फिर एक झटके से बाहर निकाल देता था। “आह आह” की आवाज़ हम दोनों के ही मुंह से आ रही थी। हम दोनों ही पसीने में भिगो चुके थे और मंजू अब हिलना कम कर चुकी थी। थोड़ी देर में मेरा स्पर्म बाहर आने लगा तो मैंने अपना पेनिस बाहर निकाल लिया। मंजू ने फिर से पेनिस को किस किया। और वो अपने जवान से सभी स्पर्म को अपने गले के नीचे उतार गई।

उस रात हमने लगभग पाँच सेक्स किया और पूरी रात नग्न ही सोए रहे। इतना मजा हमको कभी नहीं आया था। इसके बाद भी कई रातें और दिन हमने इस सुख का आनंद लिया।

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